नयी शिक्षा नीति में योग कों अनिवार्य विषय के रूप में किया गया शामिल
भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग,आयुष मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा दिनांक 12 अप्रैल को भेजे गए सरकुलर पत्र के माध्यम से अवगत कराया की नई शिक्षा नीति में योग विषय को अनिवार्य विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है अब इस योग पाठ्यक्रम कों आयुर्वेद, युनानी,सिद्धा के विद्यार्थियों कों पढ़ाया जायेगा है।
योग विषय कों अनिवार्य विषय बनाने का प्रयास भारतीय योग चिकित्सक संघ IYTA के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य विपिन पथिक पिछले कई वर्षों से आयुष मंत्रालय से पत्राचार के माध्यम से पहल कर रहे थे। जिसे आखिरकार आम जन मानस के हित में योग विषय के रूप स्वीकृति प्रदान की गयी।
आचार्य पथिक जी कहा है कि लाइफ स्टाइल बीमारियों जैसे डायबिटीज माइग्रेन ओबेसिटी एंजायटी बैक पेन डिप्रेशन स्पॉन्डिलाइटिस साइनसाइटिस हार्ट डिजीज हाइपरटेंशन अनेक बीमारियों में योग का अपना महत्व है।
देश में फिलहाल 96 हजार से ज्यादा योग ट्रैनर योग सेवाएं दे रहे हैं। भारत सरकार की कोशिश है कि देश भर के 818 मेडिकल कॉलेज,323 डेंटल कॉलेज,व 250 से ज्यादा होम्योपैथिक कॉलेज में भी योग शिक्षक नियुक्त हो। बाहर के अन्य देशो ऑस्ट्रेलिया में 1.5 मिलियन, यूनाइटेड स्टेट्स में 35 मिलियन, यूनाइटेड किंगडम में 0.5 मिलियन योग ट्रेनर कार्य कर रहे है।
कोरोना के पश्चात निश्चित रूप से औषधीय के साथ योग को भी आम जनमानस नें भी अपने दैनिक जीवन में अपना लिया है।
*योग में है बेहतर भविष्य : आचार्य विपिन पथिक*
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा व आयुर्वेद एक दूसरे के पूरक है,
आज सम्पूर्ण विश्व में जहाँ बीमारियों के कारण आम जनमानस त्रस्त है वही योग एक वरदान के रूप में उनको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत होना सिखा रहा है।
आज कुशल योग शिक्षकों की डिमांड सभी तरफ है,जहाँ शहरों में सुबह योग की कक्षाए चल रही है वहीं बहुतायत में आधुनिक योग सेंटर खुल रहे है। इन योग सेंटर में युवक युवतियाँ ऐरोबिक, जुम्बा व पावर योग,कपल योग जैसी गतिविधिया अपना रहे है।
विदेश में तो योग शिक्षकों कों अत्यधिक मांग है और हजारों की संख्या में योग शिक्षक घर से ही ऑनलाइन माध्यम से विदेशियों कों योग सिखा रहे है। जो उनकी कमाई का बेहतरीन जरिया है।
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