सृजन संस्था ने सजायी प्रकृति की झंकार भारत के पर्व एवं त्यौहार सांस्कृतिक संध्या
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से सृजन संस्था द्वारा प्रकृति की झंकार भारत के पर्व एवं त्योहार विषय पर रविवार 10 मार्च को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान विपिन खंड गोमती नगर लखनऊ में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्कार भारती अवध प्रांत के अध्यक्ष अंशु माली टंडन और विशिष्ट अतिथि राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष सीताराम रहे।
संस्था के सचिव कौशल किशोर राय ने इस अवअसर पर कहा कि प्रकृति संरक्षण का कोई संस्कार अखण्ड भारतभूमि को छोड़कर अन्यत्र देखने में नहीं मिलता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंशु माली टंडन ने कहा कि सनातन परम्पराओं में प्रकृति संरक्षण के सूत्र मौजूद हैं। भारत की संस्कृति में पूजन को प्रकृति संरक्षण के तौर पर मान्यता है। विशिष्ट अतिथि सीताराम ने बताया कि भारत में पेड़-पौधों, नदी-पर्वत, ग्रह-नक्षत्र, अग्नि-वायु सहित प्रकृति के विभिन्न रूपों के साथ मानवीय रिश्ते जोड़े गए हैं। डा0 अरूण कुमार सिंह उत्तर प्रदेश संगठन प्रमुख ने चैत्र नवरात्रि एवं भारतीय नव वर्ष पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चैत्र माह की प्रतिपदा को ही नववर्ष की शुरुआत होती है, जो कि पूर्णतः वैज्ञानिक है। यह शुरुआत सूर्य के गति बदलने से होती है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था और इसी दिन भारत वर्ष में काल गणना प्रारंभ हुई थी। भोजपूरी कवि कृष्णा नंद राय ने सावन के महीने में प्रकृति और अध्यात्म के अनुपम संगम की जानकारी दी।
इस अवसर पर प्रकृति की झंकार भारत के पर्व एवं त्योहार विषय पर सुप्रसिद्ध गायक संतोष राय और गायिका रत्ना दुबे ने नवरात्रि के भजन, सावन में गायी जाने वाली पारंपरिक कजरी और छठ पर्व के भजन सुनाए। मंजू मलकानी के निर्देशन में तरंगिणी डांस एकेडमी के कलाकारों गुरु पूर्णिमा, सावन, शारदीय नवरात्र, दीपावली और महा शिवरात्रि पर नृत्य नाटिका का प्रदर्शन किया। तरंगिणी डांस एकेडमी के कलाकारों द्वारा पेश फूलों की होली केन्द्रीय आकर्षण बनी। इस अवसर पर दुर्गेश्वर राय, डा0 पवन तिवारी, विशाल तिवारी मौजूद रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं कलाकारों को सम्मानित भी किया गया।
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