जल संरक्षण मात्र एक नारा नहीं बल्कि आन्दोलन है. इसे जन-जन तक ले जाना हमार दायित्व है

“हमें यह समझना होगा कि जल संरक्षण मात्र एक नारा नहीं बल्कि आन्दोलन है. इसे जन-जन तक ले जाना हमार दायित्व है. आजकल जो असमय बारिश हो रही है वो भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन का परिणाम है. यह भी वैश्विक तापमान में लगातार हो रही है वृद्धि का एक बड़ा कारक है.” उक्त विचार आज लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के संयुक्त तत्वाधान में विश्व जल दिवस पर संपन्न हुई संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. अजय मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा. उन्होंने एक प्रस्तुतिकरण के माध्यम से उपस्थित शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को बताया कि किस तरह जल दूषित होता है और उसे स्वच्छ रखने के क्या तरीके हो सकते हैं.उन्होंने घरों में उपयोग किये जा रहे आरओ एवं अन्य जल शुद्धिकरण के यंत्रों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे पानी से उत्पन्न हुई स्वास्थ्य समस्यायों पर भी प्रकाश डाला.

समाज कार्य विभागाध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी ने लगातार कम होते जल स्तर पर अपनी चिंता व्यक्त हकरते हुए कहा कि पीने योग्य पानी की लगातार कमी होती जा रही है. समाज कार्य के विद्यार्थी होने के नाते हमें इसका संरक्षण करना होगा, जिससे हम स्थैतिक विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकें और आने वाले पीढ़ियों को शुद्ध जल कि उपलब्धता करवा सकें। आपने यह भी कहा की अगर हम सब ने मिल कर पानी का दुरुपयोग बंद नहीं किआ तो भविष्य में पानी को लेकर विश्व युद्ध की स्थिति भी बन सकती है.

समाज कार्य विभाग के वरिष्ठतम प्रोफ़ेसर डॉ. राज कुमार सिंह ने अध्यक्षीय उदबोधन में पानी को लेकर अपने निजी अनुभव साझा किये कि किस तरह उन्होंने वाटर प्यूरीफायर यंत्रों का इस्तेमाल एक लम्बे समय तक नहीं किया और जब किया तो उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ा.

इसके पहले डॉ. रमेश त्रिपाठी ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं छात्रों का स्वागत अपने उदबोधन से किया तत्पश्चात डॉ. गरिमा सिंह ने जल संधियों एवं उपयोग से वैश्विक शांति के प्रति संयुक्त राष्ट्र के संकल्प पर आधारित अपना उदबोधन दिया. संगोष्ठी में डॉ. शिखा सिंह द्वारा सभी को भारत सरकार के राष्ट्रीय जल मिशन के अंतर्गत ली जाने वाली शपथ ली जिसे सभी प्रतिभागियों ने दोहरा कर जल संरक्षण की शपथ ली. अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ओमेन्द्र कुमार यादव द्वारा किया गया. कार्यक्रम में समाज कार्य के छात्र, शिक्षक एवं शोधार्थी मौजूद रहे.

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