वल्र्ड स्लीप डे हर वर्ष नींद को विभिन्न प्रकार की बीमारियो के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये मनाया जाता है
“समग्र कल्याण और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए नींद संबंधी विकारों के शीघ्र निदान और प्रभावी प्रबंधन में निवेश करना सर्वोपरि है।“
प्रो0 (डा0) सोनिया नित्यानंद,
मा0 कुलपति, के0जी0एम0यू0
नींद सम्बन्धित बीमारी की पहचान अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
इन बीमारी की वजह से बढ रहें हार्ट की बीमारी के मामले।
शुगर, बी0पी,मोटापा हो रहा अनियन्त्रित।
इसके लिए समाज में जागरूकता और शिक्षित करना समय की आवश्यकता ।
स्लीप समिट 2024 के आयोजन सचिव के रूप में, मैं समाज की भलाई के लिए स्लीप मेडिसिन में अनुसंधान और नैदानिक प्रथाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में सहयोगात्मक प्रयासों को देखकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। प्रो0 (डा0) वेद प्रकाश
वल्र्ड स्लीप डे हर वर्ष नींद को विभिन्न प्रकार की बीमारियो के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये मनाया जाता है। यह दिन World Sleep Socity द्वारा सन् 2008 से मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समाज में नींद सम्बन्धित विकारों को कम करना है ।
यह दिन हर वर्ष शुक्रवार को उस दिन मनाया जाता है जब दिन और रात समय लगभग बराबर होता है।
महत्वपूर्ण बिन्दुः-
ऽ पूरे विश्व में 10 प्रतिशत वयस्क अनिद्रा से ग्रसित है। यह विश्व में सबसे प्रमुख निद्रा विकार है।
ऽ 3-7 प्रतिशत वयस्क Obstructive Sleep Apnea (OSA) से ग्रसित है जो कि दूसरा मुख्य निद्रा विकार है। ज्यादातर वयस्कों में यह बीमारी पता नहीं चल पाती है जबकि यह हाई की बामारी एवं कुछ दिमाग सम्बन्धित बीमारियों की प्रमुख वजहों में से एक है।
ऽ OSA से पूरे विश्व में लगभग 93 करोड वयस्क (30-69 वर्ष) ग्रसित हैं जिसमें 42 करोड लोगों को Moderate to Severe ग्रेड की OSA बीमारी है।
ऽ OSA विभिन्न बीामारियाँ जैसे हर्ट की बीमारी मेटाबोलिक बीमारी बी0पी0 की बीमारी Depression लकवा जैसी अनेक गम्भीर बीमारियों का खतरा बढ़ाता है।
ऽ एक अनुमान के मुताबिक OSA से सालाना लगभग एक लाख करोड रूपये का व्यय होता है।
ऽ एक अनुमान के मुताबिक 80 प्रतिशत के मरीजों में इस बीमारी का पता देर से चलता है।
ऽ 2-3 प्रतिशत वयस्क Restless लेग Syndrome नामक बीमारी से ग्रसित है।
ऽ लगभग 4-56 प्रतिशत वयस्क निद्रा के अन्य विकार जैसे नींद में चलना, Sleep Terror ज्मततवत इत्यादि से ग्रसित है।
ऽ पूरे विश्व में लगभग 45 प्रतिशत व्यक्ति निद्रा की कमी से होने वाले असर को महसूस करते है जो उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करते है।
लक्षणः-
दिन में अधिकाधिक सोना।
नींद पडने में कठिनाई।
रात में बार-बार जागना।
नींद पूरी ना होना ।
खर्राटे आना।
नींद के दौरान चोकिंग हो जाना ।
सरदर्द।
थकान एवं चिडचिडापन।
याद्दाश्त में कमी।
नींद में चलना बोलना और हाथ पैर चलना।
Restless Leg Syndrome
निद्रा विकार का निदान
ऽ क्लीनिकल History
ऽ स्लीप डायरी
ऽ स्लीप स्टडी – यह निद्रा विकारो को पता करने का सबसे सटीक टेस्ट है जिसमें दिमाग की हलचल, आँखों की गति शरीर की टोन, हृदय गति, सांस लेने का पैटर्न, हाथ पैर का मूवमेन्ट इतयादि देखकर निद्रा विकार का पता लगाया जाता है।
जटिलतायें:-
ऽ हृदय की अनेक बीमारियाँ जैसे बी0पी0, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लाक इत्यादि।
ऽ मेटाबाॅलिक डिसआर्डर:- जैसे शुगर और मोटापा ।
ऽ नसों की बीमारी:- जैसे याद्दाश्त में कमी लकवा इत्यादि।
ऽ दिन में काम करने की अक्षमता।
ऽ मानसिक रोग।
ऽ एवं चोट लगना।
निराकरण:-
ऽ नियमित व्यायाम
ऽ मोतापा कम करना
ऽ योग करना
ऽ CPAP जैसी डिवाइस का इस्तेमाल
ऽ Oral डिवाइस
ऽ सर्जरी
ऽ आक्सीजन थिरेपी इत्यादि।
हमारे पी0सी0सी0एम0 विभाग की भूमिकाः-
हमारे विभाग में इस उभरती और जल्दी ना पकड में आने वाली बीमारी के समुचित निदान और इलाज के लिये सभी संसाधन उपलब्ध है। हमारे विभाग में State of Art 64 Channel वाली अत्यन्त विकतित Sleep Lab है जहाँ पर Level .1 Sleep Study की जाती है इसके लिये सम्बन्धित मरीज को एक रात आकर सोना होता है और इस बीमारी के सभी पहलुओं की जांच की जाती है और रिपार्ट आने पर इसका समुचित निराकरण किया जाता है।
वर्ड स्लीप डे के अवसर पर, केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने 21-22 मार्च, सुबह 9ः30 बजे से ‘‘स्लीप समिट-2024‘‘ का आयोजन किया। डॉक्टरों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए इस सम्मेलन में नई दिल्ली, केजीएमयू, आरएमएलआईएमएस, एसजीपीजीआईएमएस और अन्य निजी संस्थानों और अस्पतालों के प्रख्यात पल्मोनरी और स्लीप मेडिसिन विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए और स्लीप मेडिसिन में नवीनतम विकास पर चर्चा की।
22 मार्च, 2024 को स्लीप समिट में, एक वर्क शाॅप ने डॉक्टरों को पॉलीसोम्नोग्राफी की जटिलताओं को समझने का एक अमूल्य अवसर प्रदान किया। प्रतिष्ठित डाक्टर जैसे डॉ. एसएन गुप्ता, डॉ. श्वेता कंचन और डॉ. ज्ञानेंद्र शुक्ला की मेजबानी में कार्यशाला ने पीएसजी के बुनियादी और उन्नत दोनों पहलुओं को कवर करते हुए एक व्यापक सीखने का अनुभव प्रदान किया। उपस्थित लोगों को पीएसजी के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल को निखारने का मौका मिला, जिसमें डॉ. कंचन और डॉ. शुक्ला द्वारा बताई गई मैन्युअल स्कोरिंग तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया गया। दूसरी ओर, डॉ. एसएन गुप्ता ने नींद से संबंधित श्वास संबंधी विकारों के लिए पैप अनुमापन पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया। कार्यशाला ने इंटरैक्टिव शिक्षण और कौशल वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा दिया, जिससे उपस्थित लोगों को स्लीप मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान किया गया।
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