विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ. प्र. एवं भूगोल विभाग, नेशनल पी. जी. कालेज, लखनऊ द्वारा लखनऊ में प्रथम बौद्धिक सम्पदा संरक्षण महोत्सव का आयोजन

दिनांक 13 मार्च, 2024 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ. प्र. एवं भूगोल विभाग, नेशनल पी. जी. कालेज, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से बौद्धिक सम्पदा संरक्षण से सम्बन्धित क्विज, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन राइ‌टिंग एवं वाद-विवाद विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन अन्तर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयीय स्तर पर किया गया। इन प्रतियोगिताओं में लखनऊ जनपद के 20 महाविद्यालयों के लगभग 800 विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के दूसरे दिन दिनांक 14 मार्च, 2024 को बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया तथा सभी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों कों प्रथम, द्वितीय, तृतीय व सांत्वना स्थान पर रहने वाले छात्र-छात्राओं को क्रमशः रु.8000.00 प्रथम पुरस्कार, रु.6000.00 द्वितीय पुरस्कार एवं रु. 3000.00 तृतीय पुरस्कार एवं रु.2000.00 सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में नेशनल पी.जी. कालेज, लखनऊ के प्राचार्य प्रो. देवेन्द्र कुमार सिंह, एवं नेशनल पी.जी. कॉलेज, लखनऊ के प्रबंधक श्री उज्जवल रमण सिंह जी ने बच्चों को प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने हेतु सभी को बधाई दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री नरेन्द्र भूषण, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ.प्र. शासन ने बौद्धिक सम्पदा संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि बौद्धिक सम्पदा संरक्षण के माध्यम से ही प्रदेश को इण्डिया इन्नोवेशन इंडेक्स में शीर्ष स्थान प्राप्त कर पायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश की पेटेंट इनफार्मेशन सेल द्वारा प्रदेश में प्रथम बार करवाए जा रहे अपनी तरह के इस अनोखे कार्यक्रम की सराहना करता हूँ तथा यह आशा करता हूँ कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश की पेटेंट इनफार्मेशन सेल द्वारा शीघ्र ही सम्पूर्ण प्रदेश में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे, जिससे पूरे प्रदेश के विद्यार्थी एवं नव अन्वेषकों को लाभ मिल सकें ।

कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० देवेंद्र कुमार सिंह ने बौद्धिक संपदा के महत्व को बताते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के विषय में जागरूकता उत्पन्न कराना विशेषकर पेटेंट्स, पड़ोसी क्षेत्रों में तथा राज्य में बौद्धिक संपदा संस्कृति विकसित करना राज्य में विश्वविद्यालयों, उद्योगों, सरकारी विभागों एवं शोध तथा अनुसंधान संस्थानों हेतु कला पूर्व शोध को सक्षम बनाना है। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ अमूर्त संपत्ति, जैसे पेटेंट, को संपत्ति के रूप में दर्ज किया जाता है क्योंकि उनकी समाप्ति तिथि होती है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ. प्र. एवं नेशनल पी. जी. कालेज लखनऊ द्वारा यह कार्यक्रम वृहद् स्तर पर और सफलता पूर्वक आयोजित करवाया है जिसके लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ. प्र. के सभी वैज्ञानिक एवं नेशनल पी. जी. कालेज लखनऊ के सभी अध्यापक और विद्यार्थी साधुवाद के पात्र हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ. प्र. द्वारा बौद्धिक सम्पदा संरक्षण से सम्बन्धित इस प्रकार का यह सम्पूर्ण प्रदेश में प्रथम कार्यक्रम है, जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को भिन्न-भिन्न प्रतियोगिताओं एवं व्याख्यानों के माध्यम से बौद्धिक सम्पदा संरक्षण की जानकारी विस्तृत रूप से उपलब्ध करायी गयी है। इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए परिषद द्वारा भविष्य में सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में इस तरह के कार्यक्रम कराये जायेंगे।

सम्मानित अतिथि डी०के० श्रीवास्तव जी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ. प्र. ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने बताया कि बच्चों को आईपीआर के लिए कैसे प्रशिक्षण दिया जाएगा। व्याख्यान माला में डॉ० हरिकेश बहादुर सिंह, मुख्य वक्ता, एमेरिटस प्रोफेसर, एफ एन ए ए एस, जी एल ए विश्वविद्यालय, बी.एच.यू. वाराणसी, ने बताया, भारत में पेटेंट की पहल 1970 में शुरू हुई किन्तु प्रथम पेटेंट 1972 में प्राप्त हुआ तथा 1999 में ट्रेडमार्क प्राप्त हुआ। इन्होंने जीआई टैग के बारे में जानकारी दी तथा उन्होंने बताया की भारत में उत्तरप्रदेश जी आई टैग में दूसरे स्थान पर है तथा उत्तर प्रदेश कि एकल जिला एकल उत्पाद नीति की सराहना की। तथा अन्त में बताया 2023-24 में 41000 पेटेंट पंजीकृत हुए किन्तु 85 पेटेंट-विदेशी जमीन पर पंजीकृत हुए हैं। एवं 14000 पेटेंट भारत भूमि पर पंजीकृत हुये हैं। डॉ० रमेश कुमार श्रीवास्तव, मुख्य वैज्ञानिक सीमैप लखनऊ ने सीमैप संस्था के बारे में बताया कि सीमैप पेटेंट के अलग-अलग क्षेत्रों में क्या-क्या और किस प्रकार योगदान देता है और इसका छात्र-छात्राएं किस प्रकार उपयोग कर सकते है। श्री मधुसूदन श्रीवास्तव, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली ने वौद्धिक सम्पदा संरक्षण के महत्व एवं उसके विभिन्न आयाम यथा पेटेण्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, जी.आई. ट्रेड सीक्रेट इत्यादि पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर सभी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों में प्रथम, द्वितीय, तृतीय व सांत्वना स्थान पर रहने वाले छात्र-छात्राओं क्रमशः रु.8000.00 प्रथम पुरस्कार, रु.6000.00 द्वितीय पुरस्कार एवं रु. 3000.00 तृतीय पुरस्कार एवं रु.2000.00 सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।

क्विज प्रतियोगिता में डॉक्टर शकुंतला मिश्रा नेशनल पुनर्वास यूनिवर्सिटी के छात्र प्रथमेश कुमार ने प्रथम स्थान डॉक्टर शकुंतला मिश्रा नेशनल पुनर्वास यूनिवर्सिटी के छात्र आयुष द्विवेदी द्वितीय स्थान, नेशनल पी जी कॉलेज से दृष्टि श्रीवास्तव को तृतीय स्थान तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र इंद्रजीत शुक्ला ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया।

पोस्टर प्रतियोगिता में शिया पीजी कॉलेज के छात्र अभिषेक शर्मा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, टेक्नो इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस के छात्र नीरज भिंड ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया, नेशनल पी जी कॉलेज की छात्रा आयुषी यादव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, तथा यूनिवर्सिटी लखनऊ की छात्र आराधना कांत ने चौथा स्थान प्राप्त किया।

स्लोगन प्रतियोगिता में नेशनल पीजी कॉलेज की छात्रा प्रिया शुक्ला ने प्रथम स्थान करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पीजी कॉलेज की छात्रा संध्या शर्मा ने द्वितीय स्थान, नवयुग कन्या महाविद्यालय की छात्रा सुप्रिया गोपाल ने तृतीय स्थान तथा नेशनल पी जी कॉलेज की छात्रा साक्षी तिवारी ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया।

वाद-विवाद प्रतियोगिता में विषय के पक्ष में लखनऊ के छात्र आर्यन मिश्रा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी की छात्रा अदिति त्रिपाठी ने द्वितीय स्थान अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज की छात्रा सान्या सिंह ने तृतीया स्थान तथा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल डिग्री कॉलेज के छात्र जितेंद्र सिंह ने चौथा स्थान प्राप्त किया। वाद विवाद प्रतियोगिता के विषय के विपक्ष में नेशनल पीजी कॉलेज के छात्र प्रियांशु सिंह ने प्रथम स्थान, श्री जय नारायण मिश्र पीजी कॉलेज के छात्रा संयुक्ता सिंह ने द्वितीय स्थान, नवयुग कन्या महाविद्यालय की छात्रा नेहा कुमारी ने तृतीय स्थान तथा शिया पीजी कॉलेज की फरिया कलाम ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। इस कार्यकम की संयोजक प्रो. पी. के. सिंह, विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग तथा डॉ० रितु जैन, सहायक आचार्य, रही। उपरोक्त कार्यक्रम डॉ पूजा यादव, संयुक्त निदेशक,विज्ञान एवं तकनीक परिषद उत्तर प्रदेश के दिशा निर्देशन में संपन्न हुआ।

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