विश्व जल दिवस पर नासी द्वारा आयोजित कार्यक्रम
कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव ने आज विश्व जल दिवस पर नासी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि भारत के 70 प्रतिशत इलाके में पीने लायक पानी की कमी हो गई है। यदि हम समय रहते नही चेते तो हमारे नलों से पानी नहीं सिर्फ पश्चाताप बहेगा और हमें याद रहेगा के हमने कभी एक पूरा गिलास पानी पिया था। पानी की कमी से मानव शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं। सारे एनसी आर क्षेत्र में पानी की कमी होने के कारण टैंकरों से पानी सप्लाई होती है। क्या हम तैयार हैं चेन्नई एन सी आर जैसी परिस्थिति सारे देश में देखने के लिए। जैसे लंदन में थेम्स नदी गंदी होने पर वहां के लोगों ने मुहिम चलाई और आज वो नदी साफ है वैसे ही हम भी कुछ करना होगा। पृथ्वी पर जीवन का संकट पैदा हो जायेगा यदि हम पीने के पानी के स्त्रोतों के संरक्षण नही करते। न सिर्फ एन सी आर, चेन्नई और बैंगलोर में पानी की कमी हो रही है और पलायन की स्थिति पैदा होबराजी है वरन मैक्सिको, केपटाउन, पर्थ , सैनफ्रांसिसको पानी की कमी से जूझ रहे हैं। इसका समाधान कुछ तकनीकि रूप से आगे के देशों में रिसाइकल्ड पानी का इस्तेमाल खेती और सफाई आदि में बहुत सालों से किया जाया करता है। इलाहाबाद जैसे छोटे शहरों में स्थिति अभी बहुत खराब नही है किन्तु यदि हमने जल संरक्षण पर वृहत स्टार पर ध्यान नहीं दिया तो स्थिति बिगड़ भी सकती है। नदी का पानी साफ रखने पर चोलेरा , कैंसर, डायोर्रेहा जैसी बीमारियां फैलती है। पानी की बर्बादी कर हम असली सोने की बर्बादी करते हैं । गहने से ज्यादा बहुमूल्य होता है पीने का पानी और आज हम इस सोने से ज्यादा बहुमूल्य चीज को खरीदने पर सोचते भी नही हैं जबकि कुछ वर्ष पहले तक पानी खरीदने के बारे सोचना भी असंभव था। इन सभी के लिए जनमानस में इसके महत्व के बारे में बताना चाहिए और जागरूकता फैलाननी चाहिए।
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