पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर (प्रयोगशाला) प्रेक्षागृह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय के सुविख्यात पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियॉ दी गयी। लगभग 8 करोड़ की लागत से इस प्रेक्षागृह को नवीनीकृत कर अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने का कार्य किया गया था। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन एवं कुलसचिव, प्रो. अरुण कुमार सिंहने महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय, पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर व मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित किया।

अपने उद्वोधन में कुलपति जी ने कहा कि यह प्रेक्षागृह अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है, यह देखकर गर्व हो रहा है, इस प्रकार के सभागार विश्वविद्यालय में और भी बनने चाहिए जिससे सभी लोग लाभान्वित हो। एैसी व्यवस्था बननी चाहिए की विज्ञान के विद्यार्थी, कला, मंच कला, संगीत एवं दृश्य कला व विदेशी भाषा सीखें। अन्य विषयों के विद्यार्थी दूसरे विषयो का अध्ययन करे। भारत रत्न डॉ. सी.एन.आर. राव ने मुझे ईमेल करके लिखा था कि मै रसायन शास्त्र का विद्यार्थी हूॅ लेकिन मुझे अध्ययन के दौरान बीएचयू से संगीत एवं आध्यात्म की शिक्षा मिली है। मै चाहता हूॅ कि इस प्रकार के प्रेक्षागृह की क्षमता का पूरा उपयोग कर संगीत एवं मंच कला संकाय पूरे देश में और अधिक नाम करे। इस अवसर पर कुलसचिव, प्रो. अरुण कुमार सिंह, छात्र अधिष्ठाता, प्रो. ए.के. नेमा, सलाहकार इंजीनियर पी.के. सिंह तथा केन्द्रीस लोक निर्माण विभाग के अभियंतागण मौजूद थे। स्वागत उद्वोधन संगीत एवं मंच कला संकाय के प्रमुख्स प्रो. के. शशि कुमार ने दिया। कुलपति जी ने प्रेक्षागृह के आधुनिकीकरण में योगदान देने वाले लोक निर्माण विभाग के अभियंतागण को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान संगीत की कुछ प्रस्तुतियां की गई। सर्वप्रथम काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुल गीत की प्रस्तुति हुई जिसे संकाय के गायन विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया तत्पश्चात गायन का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

गायन – डा. ज्ञानेश चंद्र पांडेय

आप ने राग अहीर भैरव में रचित

साधो गगन घटा गहरानी की प्रस्तुति की।

तत्पश्चात दादरा – मोरी छोड़ो डगरिया श्याम

होरी – रंग डारूंगी नंद के लालन पे रंग डारूंगी।

तबला – श्री आनंद मिश्रा, सिद्धार्थ चक्रवर्ती

हारमोनियम -देवेंद्र झा

बांसुरी -सुधीर कुमार गौतम ने

इसके उपरान्त – वाद्य वृंद में प्रो. प्रवीण उद्धव द्वारा राग पुरिया में मध्यलय तीनताल, राग सोहनी में तबले की कुछ परंपरागत बंदिशें प्रस्तुत की गयी है।

इसके उपरान्त डॉ. खिलेश्वरी पटेल एवं विद्यार्थियो द्वारा भरत नाट्यम नृत्य प्रस्तुत किया गया।

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