श्रीराधाष्टमी महोत्सव

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Overview

  • ID No

    19149
  • Organiser

    श्री श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर भक्त मंडल
  • Date & Time

    23/09/2023 8:00 AM - 23/09/2023 8:00 AM
  • Contact

    +91 94150 26289, 9839075000
  • Place

    Shri Shri Gaur Radha Krishna Mandir - Old Iskcon, Lucknow

About This Event

 

|| श्रीराधाष्टमी महोत्सव ||

अयोजक :

श्री श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर भक्त मंडल

🗓️ : 23 सितंबर,2023

📍 : श्री श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर, पुराना इस्कॉन , लखनऊ

मुख्य कार्यक्रम :

प्रातः 8:00 बजे: राधा रानी के चरण दर्शन

प्रातः 8:00 बजे: गुरु पूजा

प्रातः 9:00 बजे: भजन कीर्तन एवं प्रवचन

प्रातः 11:00 बजे: श्री श्री गौर राधा कृष्ण अभिषेक

मध्यान्ह 12 बजे : छप्पन भोग

मध्यान्ह 12:30 बजे: महाआरती

मध्यान्ह 1 बजे : महाप्रसाद

राधा अष्टमी का महत्व

मान्यता है कि राधा के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है। जो लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं, उन्हें राधा रानी के जन्मोत्सव यानी राधा अष्टमी पर भी व्रत रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि राधा अष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। इस दिन व्रत और पूजन करने वालों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

पहले राधा फिर कृष्ण

राधाजी कृष्ण की प्रियतमा हैं,वे श्रीकृष्ण के वक्षःस्थल में वास करती हैं अर्थात उनके प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं। ये कृष्णवल्लभा हैं क्योंकि श्री कृष्ण को ये आनंद प्रदान करती हैं। राधा श्रीकृष्ण की आराधना करती हैं और श्री कृष्ण राधा जी की । ये  दोनों परस्पर आराध्य और आराधक हैं अर्थात दोनों एक दूसरे के इष्ट देवता हैं। शास्त्रों के अनुसार पहले ‘राधा’ नाम का उच्चारण करने के पश्चात ‘कृष्ण’ नाम का उच्चारण करना चाहिए। इस क्रम का उलटफेर करने पर प्राणी पाप का भागी होता है।

सर्वप्रथम कृष्ण ने की पूजा

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक की पूर्णिमा को गोलोक के रासमण्डल में श्री कृष्ण ने राधाजी का पूजन किया। उत्तम रत्नों की गुटिका में राधा-कवच रखकर गोपों सहित श्री कृष्ण ने उसे अपने कंठ और दाहिनी बांह में धारण किया। भक्तिभाव से उनका ध्यान और स्तवन कर राधा के चबाए ताम्बूल को लेकर स्वयं ने खाया।

श्री कृष्ण भी रहते हैं राधा के अधीन

एक बार भगवान शंकर ने श्री कृष्ण से पूछा कि प्रभो! आपके इस स्वरुप की प्राप्ति कैसे हो सकती है ? श्री कृष्ण ने उत्तर में कहा कि हे रूद्र! मेरी प्रिया राधा का आश्रय लेकर ही तुम मुझे अपने वश में कर सकते हो अर्थात मुझे प्रसन्न करना है तो राधा रानी की शरण में जाओ। शास्त्रों में श्री राधाजी की पूजा को अनिवार्य मानते हुए कहा है कि श्री राधा जी की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता। स्वयं श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं राधा नाम लेने वाले के पीछे चल देता हूं ।अतः परमेश्वर श्री कृष्ण इनके अधीन रहते हैं।

पूजाविधि

राधा अष्टमी का व्रत करने के लिए इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करें। इसके बाद सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और उसके बाद राधा रानी को पुष्प, श्रृंगार की चीजें, फल, भोग आदि चढ़ाकर पूजा करें,साथ में श्री कृष्ण की पूजा अवश्य करें। श्री राधामन्त्र ‘ॐ राधायै स्वाहा ‘ का जाप करना चाहिए । राधाजी श्री लक्ष्मी का ही स्वरुप हैं अतः इनकी पूजा से धन-धान्य व ऐश्वर्य प्राप्त होता है । राधा नाम के जाप से श्री कृष्ण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। नारद पुराण के अनुसार ‘राधाष्टमी’ व्रत करने से प्राणी बृज का  रहस्य जान लेता है तथा राधा परिकरों में निवास करता है।

चरण सेवक :

विनीत नारायण , सुधीर एस हलवासिया, रविशंकर गर्ग

सभी भक्त सदर अमंत्रित हैं🙏

 

Details

  • Organiser श्री श्री गौर राधा कृष्ण मंदिर भक्त मंडल
  • Date & Time 23/09/2023 8:00 AM - 23/09/2023 8:00 AM
  • Contact +91 94150 26289, 9839075000
  • Place Shri Shri Gaur Radha Krishna Mandir - Old Iskcon, Lucknow

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